पिछले दिनों हरिद्वार और ऋषिकेश की यात्रा में एक व्यक्ति ने मुझे सर्वाधिक प्रभावित किया और वह थे पूजनीय दलाई लामा।
यह दलाई लामा से मेरी पहली मुलाकात नहीं थी। पहले भी अनेक बार हमारा मिलना हुआ है। जबसे उन्हें अपने हजारों अनुयायियों के साथ तिब्बत छोड़ने को बाध्य होना पड़ा और उन्होंने भारत को अपने देश के रूप में अपनाया तब से अनेक कार्यक्रमों में हम दोनों मिले हैं। हम दोनों के बीच सदैव स्नेह और परस्पर आदरभाव के तार जुड़े रहे हैं।
लेकिन कुंभ में दो दिनों तक उनके साथ जो निकटता हुई उससे मेरे मन में उनके प्रति सम्मान और बढ़ा है। उनकी विनम्रता, उनकी श्रेष्ठता, उनकी